5 Easy Facts About सोने से पहले यह जरà¥à¤° सà¥à¤¨à¥‡ Described
[मनà¥à¤·à¥à¤¯ को किसी à¤à¤• विदà¥à¤¯à¤¾ या कला में दकà¥à¤· हो जाने पर गरà¥à¤µ नहीं करना चाहिà¤à¥¤] १
[संपादित करें] शेकà¥à¤¸à¤ªà¤¿à¤¯à¤° के बारे में अटकलें
[जो अपने साथियों से अलग होकर अकेला रह जाता है, उसे à¤à¤¸à¥€ ही मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‡à¤‚ उठानी पड़ती हैं। फूट बला है।]
à¤à¤• दिन उसने सिंहासन पर सोते हà¥à¤ किसके कà¥à¤› शबà¥à¤¦ और धमाधम होने की आवाज सà¥à¤¨à¥€à¥¤
औरत ने कहा, "देख, सूरज चमक रहा है और संसार इससे जगमगा रहा है। खà¥à¤¦à¤¾ के खलीफा का नायाब जिसके पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª से शहर बगदाद इंदà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥€ बना हà¥à¤† है, अगर तू उस बादशाह से मिले तो खà¥à¤¦ à¤à¥€ बादशाह हो जायेगा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ पारस के समान है, बलà¥à¤•à¤¿ पारस à¤à¥€ इसके सामने छोटा है। हजरत रसूल की निगाह अबू बकर पर पड़ी तो वह उनकी जरा-सी कृपा से इस महान पद को पहà¥à¤‚च गये।"
[४]बीसवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में उनकी कृतियाठविदà¥à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ और निषà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में होने वाले नठआंदोलनों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बार बार अपनाई और पà¥à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¨à¥à¤µà¥‡à¤·à¤¿à¤¤ की गयीं . उनके नाटक आज à¤à¥€ बहà¥à¤¤ लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ हैं पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• तथा राजनीतिक सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤à¥‹à¤‚ में निरंतर मंचित और पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤ हो रहे हैं.
तीसरी बोला, "मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ है कि मज़बूत दीवार में सेंध लगा सकता हूं और यह काम मैं à¤à¤¸à¥€ फूरà¥à¤¤à¥€ और सफाई से करता हूं कि सोनेवालों की आंखें नहीं खà¥à¤² सकतीं और घणà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का काम मिनटों में हो जाता है।"
हजरत अली ने कहा, "मैं केवल खà¥à¤¦à¤¾ के लिठतलवार चलाता हूं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं खà¥à¤¦à¤¾ का गà¥à¤²à¤¾à¤® हूं। अपनी इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का दास नहीं। मैं खà¥à¤¦ का शेर हूं दà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾à¤“ं read more का शेर नहीं। मेरे आचरण धरà¥à¤® के साकà¥à¤·à¥€ हैं। सनà¥à¤¤à¥‹à¤· की तलवार ने मेरे कà¥à¤°à¥‹à¤§ को à¤à¤¸à¥à¤® कर दिया है। ईशà¥à¤µà¤° का कोप à¤à¥€ मेरे ऊपर दया की वरà¥à¤·à¤¾ करता है।
[दया की तलवार सममà¥à¤š लोहे की तलवार से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है।] १
शेकà¥à¤¸à¤ªà¤¿à¤¯à¤° के पहले नाटक दिन के परंपरागत शैली में लिखे गठथे.उसने à¤à¤• बनी ठनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लिखा कि check here हमेशा वसंत सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से वरà¥à¤£ या नाटक की जरूरतों से नही निकलता है.[१२५]यह कविता विसà¥à¤¤à¤¾à¤° पर निरà¥à¤à¤° करती है, कà¤à¥€ कà¤à¥€, और à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¯: आलंकारिक और रूपको को विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ करती है, और à¤à¤¾à¤·à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° आलंकारिक है- जो अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾à¤“ं को बोलने के सोने से पहले यह जरà¥à¤° सà¥à¤¨à¥‡ मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करवाती है.
[à¤à¤•à¤¤à¤¾ में दो की गà¥à¤‚जाइश नहीं। जब à¤à¤• ही à¤à¤• है तो फिर दà¥à¤ˆ कहां?] १
राजा ने रानी की बात सà¥à¤¨à¥€ तो कहने लगा, "तू उसको साधॠन समà¤, वह तो राजा है। जिसने अपनी इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को वश में कर लिया वही राजा है। इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दास को कौन बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ राजा कह सकता है?
• सà¥à¤¨à¥à¤¯à¥à¤¦à¤°, सà¥à¤¸à¤¾à¤¨, और करà¥à¤°à¥‡à¤‚-अकà¥à¤‡à¤¨à¥‹, देबोराह, टी (इडà¥à¤¸.
शेकà¥à¤¸à¤ªà¤¿à¤¯à¤° के काम ने अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¤¾à¤·à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में साहितà¥à¤¯ पर बहà¥à¤¤ बड़ा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डाला है.शेकà¥à¤¸à¤ªà¤¿à¤¯à¤° के दिन के बाद से महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• आंकड़ों से सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आयोजित किया गया है कि उचà¥à¤š संबंध के कà¥à¤› छोटे संकेत दे: