5 Easy Facts About सोने से पहले यह जरुर सुने Described




[मनुष्य को किसी एक विद्या या कला में दक्ष हो जाने पर गर्व नहीं करना चाहिए।] १

[संपादित करें] शेक्सपियर के बारे में अटकलें

[जो अपने साथियों से अलग होकर अकेला रह जाता है, उसे ऐसी ही मुसीबतें उठानी पड़ती हैं। फूट बला है।]

एक दिन उसने सिंहासन पर सोते हुए किसके कुछ शब्द और धमाधम होने की आवाज सुनी।

औरत ने कहा, "देख, सूरज चमक रहा है और संसार इससे जगमगा रहा है। खुदा के खलीफा का नायाब जिसके प्रताप से शहर बगदाद इंद्रपुरी बना हुआ है, अगर तू उस बादशाह से मिले तो खुद भी बादशाह हो जायेगा, क्योंकि भाग्यवानों की मित्रता पारस के समान है, बल्कि पारस भी इसके सामने छोटा है। हजरत रसूल की निगाह अबू बकर पर पड़ी तो वह उनकी जरा-सी कृपा से इस महान पद को पहुंच गये।"

[४]बीसवीं शताब्दी में उनकी कृतियाँ विद्वत्ता और निष्पादन के क्षेत्रों में होने वाले नए आंदोलनों के द्वारा बार बार अपनाई और पुनार्न्वेषित की गयीं . उनके नाटक आज भी बहुत लोकप्रिय हैं पूरी दुनिया में विभिन्न सांस्कृतिक तथा राजनीतिक सन्दर्भों में निरंतर मंचित और पुनर्व्याख्यायित हो रहे हैं.

तीसरी बोला, "मुझमें ऐसी शक्ति है कि मज़बूत दीवार में सेंध लगा सकता हूं और यह काम मैं ऐसी फूर्ती और सफाई से करता हूं कि सोनेवालों की आंखें नहीं खुल सकतीं और घण्टों का काम मिनटों में हो जाता है।"

हजरत अली ने कहा, "मैं केवल खुदा के लिए तलवार चलाता हूं, क्योंकि मैं खुदा का गुलाम हूं। अपनी इन्द्रियों का दास नहीं। मैं खुद का शेर हूं दुर्वासनाओं read more का शेर नहीं। मेरे आचरण धर्म के साक्षी हैं। सन्तोष की तलवार ने मेरे क्रोध को भस्म कर दिया है। ईश्वर का कोप भी मेरे ऊपर दया की वर्षा करता है।

[दया की तलवार सममुच लोहे की तलवार से श्रेष्ठ है।] १

शेक्सपियर के पहले नाटक दिन के परंपरागत शैली में लिखे गए थे.उसने एक बनी ठनी भाषा में उन्हें लिखा कि check here हमेशा वसंत स्वाभाविक रूप से वर्ण या नाटक की जरूरतों से नही निकलता है.[१२५]यह कविता विस्तार पर निर्भर करती है, कभी कभी, और भाषा प्राय: आलंकारिक और रूपको को विस्तृत करती है, और भाषा ज्यादातर आलंकारिक है- जो अभिनेताओं को बोलने के सोने से पहले यह जरुर सुने मुकाबले व्याख्या करवाती है.

[एकता में दो की गुंजाइश नहीं। जब एक ही एक है तो फिर दुई कहां?] १

राजा ने रानी की बात सुनी तो कहने लगा, "तू उसको साधु न समझ, वह तो राजा है। जिसने अपनी इच्छाओं को वश में कर लिया वही राजा है। इन्द्रियों के दास को कौन बुद्धिमान मनुष्य राजा कह सकता है?

• स्न्य्दर, सुसान, और कर्रें-अकुइनो, देबोराह, टी (इड्स.

शेक्सपियर के काम ने अंग्रेज़ी भाषा भाषी दुनिया में साहित्य पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है.शेक्सपियर के दिन के बाद से महत्वपूर्ण साहित्यिक आंकड़ों से स्तुति के निम्नलिखित शब्दों जिसमें उन्होंने आयोजित किया गया है कि उच्च संबंध के कुछ छोटे संकेत दे:

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